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मंगलवार, 18 मई 2010

नारी न भाये

कन्या पूजन करते हैं सब
पर कन्या ही न भाये
जन्में कन्या कहीं किसी के
तो सब शोक मनायें ।

कन्या हुई तो दहेज की चिंता
पहले दिन से ही डराये
हो गई शादी अगर तो
दहेज के लिए फिर जलाये ।

नारी के बढ़ते कदम
किसी को भी न भायें
घर बाहर सब जगह
विरूद्ध बात बनायें ।

नारी से सब डरते हैं
पर पीछे-पीछे मरते हैं
संसद में कर हंगामा
परकटी, सीटीमार कहते हैं ।

अब भैया तुम्हीं बताओ
नारी कहाँ पर जाये
नारी के बिना ये दुनिया
क्या एक कदम चल पाये।

( इसे वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में भी पढ़िए)

23 टिप्‍पणियां:

राम त्यागी ने कहा…

यही है की हाथी के दांत खाने के और दिखने के और .....आपने अच्छा लिखा ...

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

अच्छी रचना,आभार.

SANJEEV RANA ने कहा…

हर जगह ये बात भी नही हैं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सही है!
नारी ही नर की खान है!

Shyama ने कहा…

Behatrin likha...vyangya ke madhyam se kadi chot !!

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

नारी से सब डरते हैं
पर पीछे-पीछे मरते हैं
संसद में कर हंगामा
परकटी, सीटीमार कहते हैं.
........शानदार व्यंग्य प्रस्तुति..जगत में नारी का स्थान कोई नहीं ले सकता. फिर भी हम उसकी उपेक्षा करते हैं..सोचनीय.

S R Bharti ने कहा…

कविता के माध्यम से सटीक विश्लेषण. सोचने पर मजबूर करती है आपकी ये कविता..बधाई.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

भला नारी लोगों को कैसे भाये. जिस नारी को सदियों से दबाकर रखा गया है, यदि वह अधिकारों की बात करे तो इस पुरुषवादी समाज के लोग उस पर ही लांछन लगाने लगते हैं. घर की बहू-बेटियाँ उनकी हाँ में हाँ मिलाकर राजनीति का डमी चेहरा बन जाएँ, उन्हें मंजूर है पर स्वतंत्र चेतना से भरी नारी उन्हें कोढ़ में खाज लगती है.....पर कब तक. वक़्त बदल रहा है. आज नहीं तो कल नारी का ही राज होगा.

दिलीप ने कहा…

sahi kaha ek jwalant mudda uthaya...

makrand ने कहा…

bahut khub , acchi rachana

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बड़ा सटीक कटाक्ष है..भ्रूण हत्या, दहेज़ से लेकर महिला आरक्षण की बातें.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

कन्या पूजन करते हैं सब
पर कन्या ही न भाये
जन्में कन्या कहीं किसी के
तो सब शोक मनायें ।

...आकांक्षा जी, आपने तो समाज की कलई ही खोलकर रख दी..अच्छी रचना,आभार.

Bhanwar Singh ने कहा…

बधाई. आपकी यह व्यंग्य कविता वैशाखानन्द सम्मान प्रतियोगिता में पहले ही पढ़ ली थी....आपकी लेखनी लाजवाब व धारदार है.

Unknown ने कहा…

सही कहा आकांक्षा जी ..नारी किसी को न भये, तभो तो सब उसके पीछे लगे हैं.

Unknown ने कहा…

सही कहा आकांक्षा जी ..नारी किसी को न भये, तभो तो सब उसके पीछे लगे हैं.

शरद कुमार ने कहा…

सुन्दर और सार्थक व्यंग्य रचना. समाज के सच को उजागर करता कड़वा व्यंग्य.

editor : guftgu ने कहा…

कन्या पूजन करते हैं सब
पर कन्या ही न भाये
जन्में कन्या कहीं किसी के
तो सब शोक मनायें ।

...नारी की व्यथा को शब्द देती सुन्दर व्यंग्य रचना...आकांक्षा जी को बधाई !!

Shahroz ने कहा…

आकांक्षा जी ! यह कविता वाकई मन को झकझोरती है...आपने अच्छा लिखा.

KK Yadav ने कहा…

नारी से सब डरते हैं
पर पीछे-पीछे मरते हैं
संसद में कर हंगामा
परकटी, सीटीमार कहते हैं ।

....लाजवाब रचना..सटीक कटाक्ष ..बधाई.

raghav ने कहा…

बेहतरीन कविता ...पढ़कर सोचने पर मजबूर.

Akanksha Yadav ने कहा…

आप सभी की टिप्पणियों, प्रोत्साहन व स्नेह के लिए आभार

मन-मयूर ने कहा…

प्रिंट आउट निकलकर रख लिया है. आराम से पढूँगा. पहली नजर में तो रोचक, मजेदार लगी पर इसमें कई निहित सन्देश व भाव भी हैं. उनकी मुझे तलाश है..

बेनामी ने कहा…

आकांक्षा जी, जब आप लिखती हैं तो पूरे मनोयोग से लिखती हैं...इस शानदार रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें. शिकायत भी, सन्देश भी, व्यथा भी, प्रतिकार भी..सब कुछ समेट लिया आपने.